Rare Pic of Fauji and Satbir Gurjar
ऐतिहासिक स्थल : मान्यता है कि प्राचीन काल में राजा लवणासुर की सेनाओं के रुकने का स्थान होने के कारण इस एरिया को लवनी के नाम से पहचाना जाता था। बाद में इसका नाम लोनी हो गया। रेलवे मैप में गुजरात के जामनगर में लोनी जंक्शन है। इसलिए यहां के रेलवे स्टेशन का नाम लोनी रख दिया गया। मुगल काल और अंग्रेजों के जमाने में सेनाएं यहां रुकती थीं। यहां के बारे में मशहूर था कि अगर किसी शासक को भारत पर राज करना है तो उसे लोनी को अपनी गिरफ्त में लेना ही होगा।
जमीन से लेकर गैंगवार तक
महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर
शुरुआती जीवन : महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर एक ही गाँव मेवला भट्टी से थे,दोनो शुरुआत में बहुत अच्छे दोस्त थे। महेंद्र फौजी आर्मी से रिटायर्ड था,इसलिए सब उसे फौजी कहकर बुलाते थे। फौजी 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध मे भी शामिल रहा था। सतबीर गुर्जर ने एलएलबी कर रखी थी। रिटायर्ड होने के बाद फौजी के पास करने के लिए कोई काम नही था,उन दिनों जमीन महँगी होने के कारण प्रोपर्टी लाइन में अच्छा बिज़नेस था,इसलिए सतबीर उसे प्रोपर्टी लाइन में साथ बिज़नेस करने के लिए लोनी के चेयरमैन जगमाल सिंह के पास ले जाता हैं।इस तरह फौजी जमीनी बिज़नेस में शामिल हो जाता हैं
वह घटना जिसने सब बदलकर रख दिया: फौजी की एक महेन्द्री नाम की बहन थी जो मेरठ के क़िलागढ़ पुट्ठी गाव में ब्याही थी (गाँवो में एक चलन होता हैं कि बड़े भाई के नाम पर ही छोटी बहन का नाम रख देते हैं।)
एक दिन फौजी सुबह अपने घर के आंगन में बैठा हुआ था की तभी उसकी बहन महेन्द्री रोती हुई आती हैं, फौजी उससे पूछता हैं तो वह बताती हैं कि ससुराल में दो मुस्लिम लड़को ने मेरे साथ छेड़खानी करने की कोशिश की,मैने ये बात अपने पति को बताई लेकिन उन गुंडो के डर से उन्होंने कुछ नही किया।
फौजी ये सुनकर आग बबूला हो जाता हैं और उन दोनो को जान से मारने की कसम खाता हैं।
फौजी जाकर सब बात सतबीर को बताता हैं तो सतबीर चलने के लिए तुरन्त तैयार हो जाता हैं।सतबीर और कुछ साथियों के साथ फौजी उन गुंडो के घर पहुचता हैं और उन दोनो को उनकी माँ समेत मौत के घाट उतार देता हैं।
इसी बीच फौजी और चेयरमैन के बीच पैसो के लेनदेन को लेकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए।सतबीर जगमाल को अपना गुरु मानता था,इसलिए वो भी फौजी को अपना दुश्मन मानने लगा।
इस दुश्मनी में दोनों परिवारों के कई लोगो की जान गई,इसी वजह से इनकी दुश्मनी दिन प्रतिदिन और गहरी होती गयी।इसी दौरान दोनों को राजनीतिक संगरक्षण भी मिलने लगा।डीपी यादव ने फौजी के साथ करीबी रिश्ते बना लिए और सतबीर महेंद्र भाटी की शरण मे आ गया।
फौजी और सतबीर के बीच शुरू हुए गैंगवार में सैकड़ो लोगो की जान गई थी।
एनकाउंटर: मई 1994 में बुलंदशहर पुलिस ने महेंद्र फौजी को बड़ी मुश्किल से मुठभेड़ में मार गिराया। जबकि 1997 में सतबीर दिल्ली पुलिस के हाथों मारा गया था। लेकिन जुर्म का ये सिलसिला इनकी मौत पर भी खत्म नही हुआ, ये अब भी जारी है.....
फौजी और सतबीर की जीवनी पर फ़िल्म :महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर पर एक फ़िल्म भी बनाई गई हैं जिला ग़ाज़ियाबाद लेकिन वो पूर्णतया सच नही हैं।फ़िल्म में सब कुछ अलग दिखाया गया हैं,और फौजी को एक बुरे पात्र के रूप में दिखाया गया हैं,जबकि स्थानीय लोग फौजी को बहुत ही अच्छा इंसान बताते हैं। फ़िल्म की स्टोरी असलियत से बिल्कुल अलग हैं, बस कुछ चुनिंदा पात्रो को छोड़कर.....।
By Sanjeev Baisla Gurjar
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